2025-04-02 00:59
!! श्री हनुमान चालीसा !! श्री गुरू चरण सरोज रज ,निज मनु मुकुरू सुधारी ||
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु , जो दायकु फल चारी ||
बुद्धिहीन तनु जानिके , सुमिरौं पवन कुमार ||
बल बुद्धि , विद्या देहु मोहिं , हरहु कलेश विकारा ||
~*~*~ चौपाई ~*~*
जय हनुमान ग्यान गुण सागर |
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ||
रामदूत अतुलित बलधामा |
अंजनिपुत्र पवन सुत नामा ||
महावीर विक्रम बजरंगी |
कुमति निवार सुमति के संगी ||
कंचन वरण विराज सुवेसा |
कानन कुंडल कुंचित केसा ||
हाथ बज्र और ध्वजा विराजै |
कांधे मूंज जनेऊ साजै ||
शंकर सुवन केसरी नंदन |
तेज प्रताप महा जगबन्दन ||
विद्यावान गुणी अति चातुर |
राम काज करिबे को आतुर ||
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया |
राम लखन सीता मन बसिया ||
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा |
विकट रूप धरि लंक जरावा ||
भीम रूप धरि असुर संहारे |
रामचन्द्र जी के काज संवारे ||
लाय संजीवन लखन जियाये |
श्री रधुबीर हरषि उर लाये ||
रघुपति किन्हीं बहुत बड़ाई |
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ||
सहस बदन तुम्हरो यश गावै |
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ||
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा |
नारद सारद सहित अहिसा ||
जम कुबेर दिकपाल जहाँ ते |
कवि कोविद कहि सके कहां ते ||
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा |
राम मिलाय राजपद दीन्हा ||
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना |
लंकेश्वर भये सब जग जाना ||
जुग सहस्त्र योजन पर भानु |
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही |
जलधि लांघि गए अचरज नाही ||
दुर्गम काज जगत के जेते |
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||
राम दुआरे तुम रखवाले |
होत न आग्या बिनु पैसारे ||
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना |
तुम रक्षक काहु को डरना ||
आपन तेज सम्हारो आपै |
तीनों लोक हांक ते कांपै ||
भुत-पिशाच निकट नहिं आवै |
महावीर जब नाम सुनावैं ||
नासै रोग हरैं सब पीरा |
जपत निरंतर हनुमत वीरा ||
संकट ते हनुमान छुड़ावैं |
मन-क्रम-वचन ध्यान जो लावैं ||
सब पर राम तपस्वी राजा |
तिनके काज सकल तुम साजा ||
और मनोरथ जो कोई लावै |
सोई अमित जीवन फल पावैं ||
चारो जुग परताप तुम्हारा |
है परसिद्ध जगत उजियारा ||
साधु सन्त के तुम रखवारे |
असुर निकंदन राम दुलारे ||
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता |
अस वर दीन जानकी माता ||
राम रसायन तुम्हरे पासा |
सदा रहो रघुपति के दासा ||
तुम्हरे भजन राम को पावै |
जनम-जनम के दुःख बिसरावै ||
अन्तकाल रघुबरपुर जाई |
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ||
और देवता चित्त न धरई |
हनुमत सेई सर्व सुख करई ||
संकट कटैं मिटै सब पीरा |
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ||
जय जय जय हनुमान गोसांई |
कृपा करहु गुरूदेव की नाई ||
जो शत बार पाठ कर कोई |
छूटहि बंदि महासुख होई ||
जो यह पढै हनुमान चालीसा |
होय सिद्धि साखी गौरीसा ||
तुलसीदास सदा हरि चेरा |
कीजै नाथ ह्रदय महं डेरा ||
पवन तनय संकट हरण , मंगल मुरति रूप |
राम लखन सीता सहित , ह्रदय बसहू सुर भूप ||
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Lable : Shree Hanuman Chalisa This Shree Hanuman Chalisa Is Posted By Rajkumar Deshmukh (ADMiN) , On 24 August 2016, Wednesday.
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