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2024-05-06 16:15
श्री हनुमान चालीसा

!! श्री हनुमान चालीसा !!
श्री गुरू चरण सरोज रज ,निज मनु मुकुरू सुधारी ||

बरनऊँ रघुबर बिमल जसु , जो दायकु फल चारी ||


बुद्धिहीन तनु जानिके , सुमिरौं पवन कुमार ||

बल बुद्धि , विद्या देहु मोहिं , हरहु कलेश विकारा ||

~*~*~ चौपाई ~*~*


जय हनुमान ग्यान गुण सागर |

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ||


रामदूत अतुलित बलधामा |

अंजनिपुत्र पवन सुत नामा ||


महावीर विक्रम बजरंगी |

कुमति निवार सुमति के संगी ||


कंचन वरण विराज सुवेसा |

कानन कुंडल कुंचित केसा ||


हाथ बज्र और ध्वजा विराजै |

कांधे मूंज जनेऊ साजै ||


शंकर सुवन केसरी नंदन |

तेज प्रताप महा जगबन्दन ||


विद्यावान गुणी अति चातुर |

राम काज करिबे को आतुर ||


प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया |

राम लखन सीता मन बसिया ||


सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा |

विकट रूप धरि लंक जरावा ||


भीम रूप धरि असुर संहारे |

रामचन्द्र जी के काज संवारे ||


लाय संजीवन लखन जियाये |

श्री रधुबीर हरषि उर लाये ||


रघुपति किन्हीं बहुत बड़ाई |

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ||


सहस बदन तुम्हरो यश गावै |

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ||


सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा |

नारद सारद सहित अहिसा ||


जम कुबेर दिकपाल जहाँ ते |

कवि कोविद कहि सके कहां ते ||


तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा |

राम मिलाय राजपद दीन्हा ||


तुम्हरो मंत्र विभीषण माना |

लंकेश्वर भये सब जग जाना ||


जुग सहस्त्र योजन पर भानु |

लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही |

जलधि लांघि गए अचरज नाही ||

दुर्गम काज जगत के जेते |

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||


राम दुआरे तुम रखवाले |

होत न आग्या बिनु पैसारे ||


सब सुख लहैं तुम्हारी सरना |

तुम रक्षक काहु को डरना ||


आपन तेज सम्हारो आपै |

तीनों लोक हांक ते कांपै ||


भुत-पिशाच निकट नहिं आवै |

महावीर जब नाम सुनावैं ||


नासै रोग हरैं सब पीरा |

जपत निरंतर हनुमत वीरा ||


संकट ते हनुमान छुड़ावैं |

मन-क्रम-वचन ध्यान जो लावैं ||


सब पर राम तपस्वी राजा |

तिनके काज सकल तुम साजा ||


और मनोरथ जो कोई लावै |

सोई अमित जीवन फल पावैं ||


चारो जुग परताप तुम्हारा |

है परसिद्ध जगत उजियारा ||


साधु सन्त के तुम रखवारे |

असुर निकंदन राम दुलारे ||


अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता |

अस वर दीन जानकी माता ||


राम रसायन तुम्हरे पासा |

सदा रहो रघुपति के दासा ||


तुम्हरे भजन राम को पावै |

जनम-जनम के दुःख बिसरावै ||


अन्तकाल रघुबरपुर जाई |

जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ||


और देवता चित्त न धरई |

हनुमत सेई सर्व सुख करई ||


संकट कटैं मिटै सब पीरा |

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ||


जय जय जय हनुमान गोसांई |

कृपा करहु गुरूदेव की नाई ||


जो शत बार पाठ कर कोई |

छूटहि बंदि महासुख होई ||


जो यह पढै हनुमान चालीसा |

होय सिद्धि साखी गौरीसा ||


तुलसीदास सदा हरि चेरा |

कीजै नाथ ह्रदय महं डेरा ||



पवन तनय संकट हरण , मंगल मुरति रूप |

राम लखन सीता सहित , ह्रदय बसहू सुर भूप ||

_________________

!! समाप्त !!
Lable :Shree Hanuman Chalisa
ThisShree Hanuman ChalisaIs Posted ByRajkumar Deshmukh (ADMiN), On 24 August 2016, Wednesday.

Special Thanks To My Dear Sister
Geeta Deshmukh
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